यह जिंदगी
जिंदगी अजीबोगरीब लगने लगी है
या दुनिया ही अजीबोगरीब है
नहीं मैं ही अजीबोगरीब हूँ
रेल की यात्रा भी अजीबोगरीब है
रेल की केबिन में सभी आयु के लोग
नवयुवतियों में होने लगी टकराहट बढ़
गया शोर रेल की केबिन में
बढ़ें बुजर्ग बोले सहज वाणी में
बहन ऐसी टकराहट ठीक नहीं
नवयुवती ने टोका तत्काल
कृपया हमसे रिशता ना बनायें
यात्रा में यात्री ही बना रहने दे
मैं मूक देखती ही रह गयी
क्या रिश्तों का नाम छलवा हैं
या यह रिश्ते ही अजीबोगरीब हैं .
सुश्री कल्पना लागू
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